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Wednesday, June 20, 2012

Gupt Navratri Begins Today

                                                                               गुप्त नवरात्रि 
वर्ष में पड़ने वाली चार नवरात्रियाँ वासंतिक, आषाढ़ीय, शारदीय, माघीय है । 20-06-2012 से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही है (आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि होती है। ) यह नवरात्रि बहुत ही फलदायक है । गुप्त नवरात्रि जगतजननी दुर्गा की उपासना से शक्ति और मनोरथ सिद्धि का विशेष काल माना गया है।

1. जीवनसाथी से अनबन : - मंत्र : - 
सब नर करहिं परस्पर प्रीति।
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।।
मंत्र को पढ़ते हुए 108 बार अग्नि में घी से आहुतियां दें। इससे यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा। अब नित्य सुबह उठकर पूजा के समय इस मंत्र को 21 बार पढ़ें।

2. बच्चे को नजर : - गुप्त नवरात्रि के दौरान हनुमानजी के मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें और दाहिने पैर का सिंदूर बच्चे के मस्तक पर लगाएं।


3. नौकरी : - भैरवजी के मंदिर जाकर प्रार्थना करें व नैवेद्य चढ़ाएं। नौकरी से संबंधित सभी समस्याएं हल हो जाएंगी।


4. धन लाभ : - 9 दिनों तक पीपल के पत्ते पर राम लिखकर तथा कुछ मीठा रखकर हनुमान मंदिर में चढ़ाएं।


5. मंगल कामना : - पूजा में लाल फूल, लाल वस्त्र, लाल चुनरी चढ़ाकर फल या चना-गुड़ का भोग लगाएं। धूप व दीप जलाकर माता के नीचे लिखे मंत्र का नौ दिन 108 बार जप करना है :- सर्व मंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते।। (मंत्र जप के बाद देवी की आरती करें और कामना करते हुए अपनी समस्याओं को दूर करने के लिये मन ही मन देवी से प्रार्थना करें। )


6. रोगनाश के लिये : - मंत्र : ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। मंत्र का यथसंभव 108 बार जप सभी गंभीर बीमारियों का भी अंत करता है। घर-परिवार रोगमुक्त होता है। (मंत्र जप के बाद देवी की आरती करें)


7. विवाह में बाधा : - शिव-पार्वती का एक चित्र अपने पूजास्थल में रखें और उनकी पूजा-अर्चना करने के पश्चात निम्न मंत्र का 5 माला जप करें – मंत्र : ऊँ शं शंकराय सकल-जन्मार्जित-पाप-विध्वंसनाय,
पुरुषार्थ-चतुष्टय-लाभाय च पतिं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा।।

8. गृहक्लेश : - रोज सुबह-शाम यदि घर में शंख बजाया जाए अथवा गायत्री मंत्र का जप करें ।


9. परिजनों के मध्य अशांति : - निम्न मंत्र को स्फटिक की माला से भगवान राम और माता सीता के सम्मुख तीन माला जपें। इसके बाद अंतिम नवरात्र को इस मंत्र का उच्चारण करते हुए 11 बार घी से अग्नि में आहुति प्रदान करें। भगवान को खीर का भोग लगाएं । मंत्र : जब ते राम ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए।।


10. माता को प्रसन्न करें : - यदि माता जगदंबिका को आम अथवा गन्ने के रस से स्नान करवाया जाए तो लक्ष्मी और सरस्वती ऐसे भक्त का घर छोड़कर कभी नहीं जातीं। दूध से स्नान करवाया जाए तो व्यक्ति सभी प्रकार की सुख-समृद्धि का स्वामी बनता है।